ग़ज़ल3 तम्हारी भीतरी गांठै जरा कापी नै तो जोवो मारी खेतर चरी रया आ हूं मजाल है साबू ना झीणा झाग मएं बैठो है मानवी
रमेश मयंक कैलाश गिरि गोस्वामी सत्यनारायण व्यास विजय गिरि गोस्वामी 'काव्यदीप' छत्रपाल शिवाजी भोगीलाल पाटीदार प्रकृति पंड्या राम पंचाल भारतीय