साबू ना झीणा झाग मएं बैठो है मानवी

गोपनीय बंद डाक मएं बैठो है मानवी

मंदर ने अैटलै फिरी टीलं ताणी ताणी

बगला जेवी फिराक मएं बैठो है मानवी

ऊंची हवेलिए भलै कुरसी ना ठाठ हूँ

माहणें पड़ेली खाक मएं बैठो है मानवी

बीयाड़ता वणियोर के लाम्बी सी नागणें

नाकी नकेल नाक मएं बैठो है मानवी

अखबार नी सुरखी हो के टीवी नी टेस मएं

धारियु उठावी धाक मएं बैठो है मानवी

सरकारी सांड सेठ के पंडत भले मल्यौ

माछलु फंसे ताक मएं बैठो है मानवी

कामेर ओड़ाड़ी करी सेवा समाज नी

लागै है मज़ाक मएं बैठो है मानवी

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : ज्योतिपुंज ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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