मारी खेतर चरी रया हूं मजाल है

खुद नी नीलामी करी रया हूं मजाल है

दौलतिया बावजी तमै भूंख थखी ताणी

मंदर मएं माल भरी रया हूं मजाल है

भगवान ना खीशा ने वताड़ी ने खाली खम

आपड़ा खीशा भरी रया हूं मजाल है

बळतो दीवो क्य बोले के तू फुदकड़ा आव

आपु आय बरी रया हूं मजाल है

वाली वाली खली माथै कुतरं नो झपट्टो

अटकोर लइने फरी रया हूँ मजाल है

माछलियं माते आज मगरमच्छ नो हमलो

आंसू फेर भी झरी रया हूं मजाल है

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : ज्योतिपुंज ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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