चावा कवि-लेखक। हाड़ौती अंचल सूं संबंध।
अब ऊं होग्यो छै मोट्यार
अर खाक हो जाऊंगो म्हूं
चाव
जद म्हूं न्हं रहैऊंगो
अस्यो पड़यो अब कारण कै
देख तो कतनी अंधारी रात है
बोल थारो काई हाल छै