काल जद

म्हूं न्हं रहैऊंगो

न्हं पाओगा थे

म्हनै आपणै साथ

तो थे

पूछा करोगा

म्हारा बारां में

मनख्या सूं

रूंखड़ा सूं

बेला सूं

नद्या-नाला सूं

हवा सूं

सड़का सूं

गल्या-चौराया सूं

कोई न्हं बता पावेगा

थानै

म्हारा बारा में

अर थांकै गोडे

म्हं पुकारता रहबा

म्हं ढूंढता रहबा रै सिवाय

न्हं रहैवगो कोई उपाय

वास्तै

आज

म्हारो तन-मन

म्हारो सर्वस्व

करल्यो स्वीकार

सहज भाव सूं

जी सूं

काल म्हारा न्हं रहबा पे बी

थां

पा सको म्हनै

आपणै साथ

आपणी आत्मा में रम्यो

देख सकौ

बंद आंख्यां सूं बी

आमीं-सामीं

कतई

अबार की नांई

सदा ईं

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : हेमन्त गुप्ता ‘पंकज’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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