ग़ज़ल4 थे स्हारौ द्यौ, बै आदमी सफल बण ज्यासी थांनै कुण कह्यो कै कपूत सो लागै थांनै काँईं ठा पड़ सकै, थे नसै में छो पिराण डील मं नीं मर् या-मर् या छै