पिराण डील में नीं मर्‌या-मर्‌या छै,

मानखा ईं टेम रा डर्‌या-डर्‌या सा छै।

सगपण म्हारा-बांरा, हता, सांतरा घणा,

पण आजकाळै लौह री ज्यूं जर्‌या-जर्‌या सा छै।

सहेल्यां म्हानैं पूछै, ‘थारा घर धणी कस्या?’

बै सोवणा अर मोवणा भर्‌या-भर्‌या सा छै।

लोग सूका-सूका चिप्यौड़ै जबाड़ां रा,

पीळा पीळा छै, कठै हर्‌या हर्‌या सा छै।

निन्याणमं रौ फेर, आडो पटकसी चौफेर,

सन्तोखी भवसागर सूं तर्‌या तर्‌या सा छै।

स्रोत
  • पोथी : बदळाव ,
  • सिरजक : अरविन्द चूरुवी ,
  • संपादक : सूर्यशंकर पारीक ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाश मन्दिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै