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अब्दुल समद ‘राही’

अब्दुल समद ‘राही’

  • bikaner

चावा कवि-उल्थाकर।

अब्दुल समद ‘राही’ रौ परिचय

अब्दुल समद राही रौ जलम 2 जुलाई 1968 नै पाली जिले रै सोजत कस्बे मांय हुयौ। वै राजस्थानी री लगैटगै सगळी विधावां में लेखन करै। वांरी रचनावां राजस्थानी री पत्र-पत्रिकावां रै साथै आकाशवाणी-दूरदर्शन सूं ई प्रसारित होवती रैवै। साहित्य अर समाज सूं रिस्तै सारु वां ‘जमीला खातून शबनम साहित्य समिति’ री थापना पण करी। वांरी लिख्योड़ी बाल साहित्य री पोथियां ई महताऊ है। ‘म्हां टाबरियां भारत मां रा’ (बाल राजस्थानी कविता संग्रै), ‘भारत देश हमारा है, ‘जूण री अबखाया, ‘गहरे घाव’ (कविता संग्रै), ‘म्हां सगळा रौ भारत देस’ (उल्थौ), ‘पीड़ रौ परनाळौ’ (राजस्थानी गजल संग्रै), ‘ईद मिलन, ‘रमतिया बणावां’ (कविता संग्रै), ‘दोस्ती का हक, (हिन्दी बाल कहाणी संग्रै), ‘हिम तरंगिणी’ (उल्थौ) आद वांरी छपियोड़ी पोथियां है। वांनै अलेखूं इनाम-इकराम पण मिल्या है।