ग़ज़ल14 आभै साम्हीं भाळ भायला बगत रै सागै चालणो पड़सी गरीब गुरबा नै क्यूं सतावो भाया जीवण रो दै मोल भलोड़ा हर अेक आंखियां में डर है
रतनलाल दाधीच शान्ति शर्मा प्रवीण सुथार नीतू शर्मा कृष्णगोपाल शर्मा श्याम महर्षि अनुराग सुभाष पाटोदिया