अवधू कउवा तैं सर नासै॥

बड़कै बाण कलाई कांपैं, तब मन रहै तमासै॥

भौंठी भालि आणी उपराठी, तीर छूटै सूधौ।

बाइस बास चरण तळि पायौ, राम रसण रस रूधौ॥

हाडौ एक मिलावो माटी, कोई चोट घालै।

काग क्रिपा करि कांठै राख्यौ, लाधी ठौर हालै॥

मूठि डिगै त्यूं माथौ धूणैं, पणिच पछौंडी आवै।

कह हरदास अपूठी या गति, चरण भजै सो पावै॥

स्रोत
  • पोथी : हरदास ग्रंथावली ,
  • सिरजक : संत हरदास ,
  • संपादक : बृजेन्द्र कुमार सिंघल ,
  • प्रकाशक : धारिका पब्लिकेशन्स, दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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