उड़-उड़ रे काला कागा, हरिजी ने बोहो दिन लागा।

थाने किशन मिले तो कीज्यो रे, म्हारा हरियल वनाडा सुवटड़ा।

चूंच मंडावा थारी सोने री, मोतीयन चोंच चुगावां राज।

रतन रा जड़ावा पिंजरा, हिरदे मांहि रहीज्यो॥

स्रोत
  • पोथी : रुक्मिणी मंगळ ,
  • सिरजक : पदम भगत ,
  • संपादक : सत्यनारायण स्वामी ,
  • प्रकाशक : भुवन वाणी ट्रस्ट, लखनऊ -226020 ,
  • संस्करण : प्रथम
जुड़्योड़ा विसै