पति की ओर निहारिये, औरन सूं क्या काम।
सबै देवता छाडि के, जपिये हरि का नाम।
आज्ञाकारी पीव की, रहै पिया के संग।
तन मन सूं सेवा करै, और न दूजो रंग॥
इण पद मांय कवि पतिव्रता नारी रै माध्यम सूं संदेश दे रह्या है कै विवाहित
औरत ने हरदम हृदय में पति रो स्मरण करणौ चहिजै। साधना रे क्षेत्र में दूसरा देवता नै छोड़ अर हरि रे नाम रो सुमरण करणौ जरूरी है। ज्यूं पतिव्रता नारी सदा ही पति रे सागै रेवती थकी तन मन स्यूं पतिव्रता रौ धरम निभावै है, उणी भांत एकमात्र सर्व व्यापक ब्रह्म री उपासना सूं ही भवसागर पार उतर सके है।