प्रभु जी थे कहाँ गयो नेहड़ी लगाय॥टेक॥
छोड़ गया बिस्वास सगाती, प्रेम की बाती बराय॥
विरह समँदमे छोड़ गया छो नेह की नाव चलाय॥
मीरा कहे प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय॥