मीराबाई
मारवाड़ व मेवाड़ रा राजपरिवार सूं संबंधित अर जग चावी भगत कवयित्री। कृष्ण भगती विषयक माधुर्य भाव रा पदां खातर चावा।
मारवाड़ व मेवाड़ रा राजपरिवार सूं संबंधित अर जग चावी भगत कवयित्री। कृष्ण भगती विषयक माधुर्य भाव रा पदां खातर चावा।
आली! म्हांनै लागै विंद्रावन नीको
भज मन! चरण-कंवल अविनासी
हे री मैं तो दरद दिवानी
हेरी! मैं तो दरद-दिवाणी होइ
हूं बूझूं पंडित जोसी!
जब तें मोहि नंदनंदन दृष्टि पर्यो माई
जागो बंसी वारे ललना, जागो मोरे प्यारे
जावो निरमोहियो! जाणी तेरी प्रीत
जोगिया री प्रीतड़ी है दुखड़ा रो मूळ
करणां सुणि स्याम मेरी
कोई कछू कहे मन लागा
मैं हरी बिन क्यों जिऊं री माय
माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल
मैं तो गिरधर के घर जाऊं
मैं तो सांवरे के रंग राची
मनै चाकर राखो जी
मेरे तो गिरधर गोपाल
मेरो मन बसि गो गिरधर लाल सों
म्हारा ओळगिया घर आया
पग घुंघरू बांधि मीरां नाची
पपइया रे! पिव की बाणी न बोल
प्रभु जी थे कहाँ गयो नेहड़ी लगाय
सखी! मेरी नींद नसानी
सुदामा कूं देखत राम हँसे
तनक हरि चितवौ जी मोरी ओर