पंच हथियारा छत्री मिलिया, सहि लाज असवार।

मंगल भुवि पासा म्ही मिलिया, देहड़ ले पनिहारी।

हिरण यूथ इंदरखाना मिलिया, मिलसी कृष्ण मुरारी।

कुंभ कलश ले नारी मिलिया, अरु दध मछली आई।

बाल खिलखती मनहर खाती, मिल गई नार सहाई।

हरि छाबड़ी है मालण मिलगी, दरबारां री दासी॥

स्रोत
  • पोथी : रुक्मिणी मंगळ ,
  • सिरजक : पदम भगत ,
  • संपादक : सत्यनारायण स्वामी ,
  • प्रकाशक : भुवन वाणी ट्रस्ट, लखनऊ -226020 ,
  • संस्करण : प्रथम
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