बुधि बेली लो, बेली लो, निपजै भाग सु भेली लो।
बाइक बीज भाव भ्वै ब्राह्मा, अंकुर आदि उदैली लो॥
ज़ल सोइ जुगति माहिला माली, निरति किया निंदणैली लो।
पान प्रकास ताक तत्त तोरूं, रूख रटण बिलबैली लो॥
अहि निसि बेलि बधै बिधि लागी, बाइ न बिषै बहैली लो।
फहम फूल फूली फल कारन, मन मधुकर मिलि आवहिं लो॥
बाड़ी बिरह बिघन कछु नाहीं, मृग माहै नहिं आबहिं लो।
बागवान पुनि रहै बधिक बिधि, बैरी बेलि न भावहिं लो॥
फल हरि दरस लता तहि लागै, रखवारे व्योसावहिं लो।
जन रज्जब जुगि जुगि सों जीवैं, ऐन अमरफल खावहिं लो॥