मन मतवारे तो सूं कहूँ।
बार-बार समझाई॥
काम क्रोध मद मछर माया।
एक बहु न साहाई॥
अंत मिंत कोउ अरथ न आवै।
कौन कुटुम कुन भाई॥
तखतराज कहै अरथ एक।
आवै अंत समै रघुराई॥