लिख-लिख पतियाँ हारी सखी री।
अजहुँ नहीं आये पिया॥
दादर मोसौं नहीं भावै।
गरज घटा घनकारी॥
गहर-घर रंग सारंग वधवै।
सेज उमंग नर नारी॥
तखतराज और नारन के संग।
अब मोरी सुध ही बिसारी॥