माई री! मैं तो लियो गोविंदो मोल।
कोई कहै छानै, कोई कहै छुपकै, लियो री बजंतां ढोल॥
कोई कहै मुंहघो, कोई कहै सुहंघो, लियो री तराजू तोल।
कोई कहै कारो, कोई कहै गोरो, लियो री अमोलिक मोल॥
या ही कूं सब लोग जाणत है, लियो री आंखी खोल।
मीरा कूं प्रभु दरसण दीज्यो, पूरब जनम को कोल॥