जागो बंसी वारे ललना ! जागो मोरे प्यारे !
रजनी बीती, भोर भयो है, घर घर खुले किंवारे।
गोपी दही मथत, सुनियन है, कंगना के झनकारे।
उठो लालजी ! भोर भयो है, सुर-नर ठाढे द्वारे।
ग्वाल-बाल सब करत कुलाहल, जय-जय सबद उचारे।
माखन-रोटी हाथ में लीनी, गउवन के रखवारे।
मीरां के प्रभु गिरधर नागर, सरन आयां को तारे॥