हेरी! मैं तो दरद-दिवाणी होइ।
दरद न जाणै मेरो कोइ॥
घाइल की गति घाइल जाणै, की जिण लायी होइ।
जौहरि की गति जौहरि जाणै, की जिन जौहर होइ॥
सूली ऊपरि सेझ हमारी, सोवणा किस विध होइ।
गगन-मंडळ पै सेझ पिया की, किस विध मिलणा होइ॥
दरध की मारी वन-वन डोलूं, वैद मिल्या नहिं कोइ।
मीरां की प्रभु पीर मिटैगी, जद वैद सांवरिया होइ॥