तोई राणी निज धरम अधिकार है।
भाइड़ां सूं भाव राखो गुरां सूं प्रतीत, बोले रांमदे कुंवर है॥
पृथ्वी कोस पचास दीजौ, दान कनक सुमेर कीजौ।
चिंतामणि कल्पबिरख, पारस कामधेनु समापौ॥
लाख हीरा लाख माणक, पन्ना किरोड़ पचास है।
गंगा तट दान करे, तोई निज धरम अधिकार है॥
किरोड़ कुंजर कनक भरिया, गउ किरोड़ पचास है।
किरोड़ मण गउ-घास आपी, तोई निज धरम अधिकार है॥
भोम गऊ दान तुरी, लाख अठारै हजार है।
पुष्कर दांन आपी, तोई निज धरम अधिकार है॥
किरोड़ कन्या धर्म परणाव, देवे दान अपार है।
पृथ्वी री परकमा कीजै, तोई निज धरम अधिकार है॥
करै जग अश्वमेघ कोटि, गंग तट निज सार है।
विप्र किरोड़ अठियासी जीमै, तोई निज धरम अधिकार है॥
हेम तुल में भेंट देवै, गऊ लख चार है।
रतन चवदह दान देवै, निज धरम अधिकार है॥
तप करै ले काशी, करवत धरै।
गंगा सागर छाप ले, तोई निज धरम अधिकार है॥
जुग चारों सेवा साजै, ऊंधै शीश सार है।
एक मन विश्वास राखै, तोई निज धरम अधिकार है॥
पदम नागण नेम झेलिया, इंद्र कहिजे अवतार है।
मिले प्याले भ्रांत राखै, सोई भगति अनादर विचार है॥
सेंस धारा इंद्र बरसै, अखंड इमरत धार है।
उण धर्म सूं बासक थापियो, जमीं हंदा भार है॥
जुगां पै'ली अमर जोगी, परमांण रै पार है।
ओस रा अलील राणी, पूजे धर्म निज या सार है॥
शंकर रै घर अटळ भगति, इंद्रनेम आधार है।
शक्ति शंकर विष्णु ब्रह्मा, वे ही पूजै धर्म निज सार है॥
वेद विरला ग्यान गीता, ध्यान तपस्या सार है।
तेज तुरीया विणज करिया, वे साधु सुचियार है॥
हरष मन सत धर्म अपणाओ, सोई तेतीसां लार है।
सो नर पूगसी प्रमांण, बोल्या रांमदे कुंवार है॥