देखे हैं सखी मैं आज अवधेस राज।
जाकी छब पै कोट काम वार डारे हैं॥
आनन चंद सिर पाग कसुंबी।
भूषन अंग सँवारे हैं॥
रट है सेस महेस निरंतर।
जन कोटी भगत उधारै हैं॥
तखतराज अवधेस कुँवर कुं।
छक-छक नैंन निहारे हैं॥