मन मतवारे तो सूं कहूँ।

बार-बार समझाई॥

काम क्रोध मद मछर माया।

एक बहु साहाई॥

अंत मिंत कोउ अरथ आवै।

कौन कुटुम कुन भाई॥

तखतराज कहै अरथ एक।

आवै अंत समै रघुराई॥

स्रोत
  • पोथी : तखतराज पदावली ,
  • सिरजक : महाराजा तख्तसिंह ,
  • संपादक : डी.बी क्षीरसागर ,
  • प्रकाशक : महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश, जोधपुर 1992
जुड़्योड़ा विसै