भरी गीत तो मिली सामही, मंगल गाती नारी।

सुसो सां गुणों, नोल दहनो, हिरण हुआ मालाला।

माथे तिलक दोय जोशी मिलिया, बै बी मिलिया चंगा।

हरी डाल नाईको मिलियो, और मिलिया बजरंगा।

गाडा भरिया धानका मिलिया, धवला जुड़िया सुजाण।

कंकण बंध्या कंवर मिलिया, आवै मन हुलसाण॥

स्रोत
  • पोथी : रुक्मिणी मंगळ ,
  • सिरजक : पदम भगत ,
  • संपादक : सत्यनारायण स्वामी ,
  • प्रकाशक : भुवन वाणी ट्रस्ट, लखनऊ -226020 ,
  • संस्करण : प्रथम
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