जैसलमेर रा रचनाकार
कुल: 9
कुल: 9
रामसा पीर, आलम राजा, निकलंक नेजाधारी आद विरद धारी। राजस्थान रा चावा लोक देवता अर समाज सुधारक। द्वारकाधीश रा अवतार मानीजै। अछूतोद्धारक महापुरुषों में आगीवाण नांव।
मध्यकालीन डिंगल कवियां री पांत में आगीवाण नाम। भाषा प्रांजल डिंगल। 'जालंधर पुराण' अर 'भृंगी पुराण' नांव री दो प्रमुख रचनावां मिलै।
नूवी पीढ़ी रा कवि। 'इण धरती रै ऊजळ आंगण' कविता संग्रै माथे केन्द्रीय साहित्य अकादमी रौ युवा पुरस्कार।
पन्दरवीं सदी रा डिंगल कवि। सुघड़ भाषा शैली में छप्पय अर डिंगल गीतां रो सिरजण। 'गोगराज चहुवाण रा छंद' अर 'ईश-भक्ति रा छप्पय' आद बांचणजोग रचनावां।
जोधपुर रा महाराजा। नाथ पंथ में आस्था। रीति, सिणगार अर वीररस रा गीत भी मिळै।
अमरकोट रे राणा भोज री बेटी अर जैसलमेर राज घराणा री बहू। मीरां बाई सूं प्रभावित भगवान कृष्ण रा अनन्य भगत व पश्चिमी राजस्थान री सिरै भगत कवयित्रियों में सूं एक।