दूहा


कौरव पांडव कूदिया, जुधखेतर मों जाय।
जुध मंडायो जोर रो, खस-खस सबनै खाय॥

भीष्म भीड़ कौरव भिड़ै, सरसर सर बरसात।
मंथन करदी रण जमी, दया नहीं दरसात॥

छंद रैणकी

दिनमुख सब दलन नमन कर दिनकर, करम धरम रणसमर करै।
समरक भड़ लड़त करत हर सुमिरन, भिड़-भिड़ पग डग त्रिदिभ भरै।
वहनट सर चमक दमक जिम बिजळ, चरण नमन कर रगत चखै।
सर पर कर सरसर सर सरसाटा, भीष्म प्रबळ दळ सुभट भखै॥


खरहड़ पग धरत धरण कर खड़ खड़, छिपत-छिपत पथ पवन छड़ै।
खखखख रज उड़त झड़त अति खखंड़, घुमड़-घुमड़ घन गगन घड़ै।
घघघघ कर त्रिभुवन घुरत घररघर, महर सकट कर चपट मखै।
सर पर कर सरसर सर सरसाटा, भीष्म प्रबळ दळ सुभट भखै॥


इक गज भट सकट त्रिगज रथ उपर, कनक बदन मुख चमक करै।
कळपत कर करण हरण दळ कोंतय, फर-फर रवि धज पवन फरै।
तरकस भर असतर कर तरबर तर, रण कुरु खेतर कदम रखै।
सर पर कर सरसर सर सरसाटा, भीष्म प्रबळ दळ सुभट भखै॥


झट-झट कर झपट अरद पर झटपट, बट-बट बटक बदन बड़कै।
तट-तट कर तड़क-तड़क कट नर तन, गट-गट कर गरदन गुड़कै।
चट-चट कर चखन कटक तन चोंबड़, रण पग जमघट गिरज रखै।
सर पर कर सरसर सर सरसाटा, भीष्म प्रबळ दळ सुभट भखै॥


बिखरत रथ उछळ मरत मित नरवर, भिडज भड़क भगदड़ भटकै।
पल-पल प्रतिपति मरतक पोरावत, पकड़-पकड़ यमपुर पटकै।
जगमग दृग जगत हसत मुख जोगण, खुपर भरत खिदकत खैखै।
सर पर कर सर सर सर सरसाटा, भीष्म प्रबळ दळ सुभट भखै॥


जुजठळ कर करज अलळ अज जळफत, हळफत गजवध समर हटै।
अचरज सब संग विकळ मन अरजन, नकुल खड़ग अज फरज नटै।
ससतर सहदेव पटक कर सहमत, निपक नजर सुत नंद नखै।
सर पर कर सर सर सर सरसाटा, भीष्म प्रबळ दळ सुभट भखै॥


अदभुत अति प्रबल प्रखर नर अवतर, जुधथल भुजबल रतन जड़ै।
पण इक नर करण धरम निज पूरन, भय बिन रण मह मदन भिड़ै।
कुरुरण मह बहत सलत जह करमठ, लहर भीष्म परवीण लिखै।
सर पर कर सर सर सर सरसाटा, भीष्म प्रबळ दळ सुभट भखै॥

छप्पय

कुरुकुल कमर कटार, जनम गंगा उर जणियो।
कुरुकुल कमर कटार, वचन हित सेवग बणियो।
कुरुकुल कमर कटार, लशकर अनेकों लड़ियो।
कुरुकुल कमर कटार, अडिग होय परशु अड़ियो।
वीर घणा जलमया वसुधा, सभी नहीं भीष्म समान।
प्रवीण वरणत निज मति परख, गंगेय तनय गुणगान॥

 

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