(अेक)

पून री धीमी सांस में स्यूं
अेक अचपळो बगूळियो जलम्यो
गुड़ाळियां चाल्यो नीं
थड़ी करी नी
भचकै ऊभो हुय'र
घूमर घाली तो इसी कै
घास पांख धूळ
जिकी ई चीज लपेट में आई
बूकियो पकड़र उठाई अर
बूढ़ै सूरज रै आंगणै में बगाई !


(दो)

गीत अेक घायल मोरियो
पांखां खोस खोसर
कागला सांग भरै
चिड़कल्यां आळो सजावै
देख'र आभो निसास नाखै
बापड़ी गूज-मोरड़ी
डूंगरां में सिर धुणै!

स्रोत
  • सिरजक : कन्हैया लाल सेठिया
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