कुतरा नै परते

हाउ नी टन-टन हांते

शुरु थई गई

परबात वउ नी!

ठाबड़ँ ठीकरं

वरा डांडा

ओटला पारला

घोर आंगणू

नै सेतरं पसेड़ं

माजवं

झाड़वं

वारवं

घोवं

नै रोटला हाण्ं करवं

खतम थई गई

डील नी वादी वउ नी!

खतम थई गई

परबात वउ नी,

नै दाड़ा नै थई ग्यू अगवण।

स्रोत
  • पोथी : वागड़ अंचल री ,
  • सिरजक : मणि बावरा ,
  • संपादक : ज्योतिपुंज ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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