थूं कैयो- राम

उण कैयो- रहीम

गया परा दोनूं

पीठ फोर'र आप-आपरै घरां।

अबै काल नै होय जावै

कोई लांठी वारदात

तो इचरज ना कर्या

क्यूंकै आपणै बिचाळै

जलमगी है

अेक नवी बात।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : नंदकिशोर सोमानी ‘स्नेह' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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