मन रूपी मजबूत
भाठां री नींव माथै
ईंटा री अेकल पड़दी ज्यूं
ऊभी रैवै अडिग
भींत भरोसै री
थामियां घर रो भार
माळिया कंगुरा खिड़की द्वार
पण जियां ई आयो
झूठ रो जळजळो
धोखै री धूजणी
भींत री नींव में उठी
सक री तेड़
होयगी थापना कमजोर
भरोसै री भींतां नैं
लागण लाग्यो भार
सगळो घर
उखड़ण लागी चिणाई
बिखरण लाग्यो मन रो मकान
ऊठण लागी तेड़ां ई तेड़ां
चावै कित्ती ई करलो
कारीगर री निंदा
चावै जित्ती मानलो
कमठै में चूक
अर मंगायलो
कारीगर सूं माफी
पण अबै नीं टिक सकै
मन रूपी नींव माथै
भींत भरोसै री
चावै कित्तोई खपो कारीगर
भलांई किती ई करो कारियां
कित्ता ई दे दो सिरमट रा खरूंट
कित्ती ई करो प्रेम री तराई
कमठै में चुक री हरजाना भराई
अेकर पाछी पण आ ज्यावैली
नींव में मजबूती
भरोसै री भींतां में बळ
टळ ज्यासी तूटणो
मन रै मूंघै मकान रो
बध ज्यासी आस
नवै रंग रोगन री
हरखसी सगळा आळा भराण
खुलसी पाछा
खिड़कियां किंवाड़
अर वां में आवसी
सैणा रौ बायरो
सुख री सौरम
आस रो उजास
पण अचांणचक
जाण ना पिछाण
साव अणजाण
मारग बैवता
कैई कुंठित कारीगर
करसी निंदा
भरसी कान
कै अवस तूटसी ओ मकान
क्यूं कै इणरो चिणारो
कारीगर कूड़ो
सिरमट रै नाम माथै
चेपतो धूड़ो
ओ कारीगर लेवै ठेका
आगै सूं आगै
कैई कमठा करै
अेक सागै
सुण’र अणजाण
तीजै कारीगर री टीपां
कियां बिनां बात
खुद रै कारीगर सूं
उण घर रो
काचै कानां रो धणी
पाछी तोड़ लेवै
भींत भरोसै री
अर काढण लागै
नींव सूं भाठा
अर कूट’र काढै कारीगर नैं
करतां हिसाब ध्याड़ी रो
फैंकता मूंडै माथै
हजार तीन रिपिया,
जिकै मानली ही चूक
अंगेज लिया हा ओळमा
जिको करै हो सिरजण पाछौ
सांच री सिरमट सूं
प्रीत रै पाणी सूं
अर आस री ईंट सूं
पण उण घर धणी नैं
हुयो कोनी विस्वास
जिकै रै मन बैठी ही
दूजै कारीगरां री बातां
उण तो विचार लियो हो
तोड़णो मकान
अर बणावणो
खंडहर।