ऊरमा अर हौसला का बोलबाला छै।

भादरी मरदानगी का बोलबाला छै।

अणबोल्या को खाखलौ भी, बिना बिक्यौ रै जाय छै।

बोलै जीं का बूंबला का, बोलबाला छै॥

बिन लखणां का मूसळचंदा त्या त्या करता फिरै।

अकलमंद हुस्यार का तो, बोलबाला छै॥

रोवै जीं टाबर नै तो, मा भी बोबो दे नहीं।

रूसबाळा टाबरां का, बोलबाला छै॥

गधां ऊपर बोझो लादै, पाछां सूं दे कामड़ी।

टांडबाळा सांड का तो, बोलबाला छै॥

निमळा की तो पूछ कोनै, निमळौ बण रैणो नहीं।

जबरदस्त बलवान का ही, बोलबाला छै॥

जीव बचाकर भागै जीं का, जीबा में धरकार छै।

झुंझबाळा सूरमा का, बोलबाला छै॥

नर—नारी दोन्यूं को जोड़ो, कोई भी कमजोर क्यों।

सिंघ का अर सिंघणी का, बोलबाला छै॥

नीत जसी ही बरकत हो छै, नीत चोखी राखणी।

भलापणा ईमान का ही, बोलबाला छै॥

खाता जाय बिगोता जावै, यो नुगरां को काम छै।

छेवट में सुगरांई का ही, बोलबाला छै॥

सांच नै तो आंच कोनै, सांच को परताप छै।

सांच का ईमान का ही, बोलबाला छै॥

स्रोत
  • पोथी : स्वतंत्रता संग्राम गीतांजली | स्वाधीनता संग्राम की प्रेरक रचनाएं ,
  • सिरजक : हीरालाल शास्त्री ,
  • संपादक : मनोहर प्रभाकर / नारायणसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थान स्वर्ण जयंती समारोह समिति, जयपुर / राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी
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