आवाज़ पर कवितावां

वाणी, ध्वनि, बोल, पुकार,

आह्वान, प्रतिरोध, अभिव्यक्ति, माँग, शोर... अपने तमाम आशयों में आवाज़ उस मूल तत्त्व की ओर ले जाती है जो कविता की ज़मीन है और उसका उत्स भी।

कविता10

अणहद नाद

भगवती लाल व्यास

बोलबाला छै

हीरालाल सास्त्री

एकलो हाथ

भगवती लाल व्यास

आंख्यां खोलो रै

हीरालाल सास्त्री

मैं बागी तो कोनी होयग्यो के

किशोर कल्पनाकान्त

हेलो पाड़ रे

हरीश भादानी

बांध पगां में घूघरा

त्रिलोक शर्मा

छप्पनियां हेला

जनकराज पारीक

नान्ही कवितावां

लक्ष्मीनारायण रंगा

रंगमंच

लक्ष्मीनारायण रंगा