अँधार पख इज रयो है अठे
बिचारां डेडरियाँ अर चम्मचैडाँ
कद चाँनणों देख्यो?
उज्यास नैं पान्तरया
मिनखां री बात छोड़
इण अँधार मांय
रातींडाँ रा रोगियाँ सूं
मारग जाणण री आस
फ़क़त फरेब है।
म्हारा बगत!
थूं थुड़ीक थ्यावस राख
इण घोर अँधारी रात रो
आ छेहलो पोर है
बाख फूटण मांय है
ऊगण आळो है
सदाये रे वास्ते
आपणो सोने रो सूरज।