भोगता थकां

जूण राखस री

राम रै चरणां परेम

अर पराई पीड़ रौ अैसास

राखती ही त्रिजटा

हुंवता थकां

रावण रै हुकम री गुलाम

करी आतमजाई-सी मान

संभाळ सीता री

थरपगी

जीवण-वैवार रौ

अेक ऊजळौ पख !

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2017 ,
  • सिरजक : कमल रंगा ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी ,
  • संस्करण : अङतीसवां
जुड़्योड़ा विसै