म्हारी जड़ां

जमीन में कित्ती ऊंडी है

चींतणियौ रूंख

आंधी रै थपेड़ां सूं

ऊंधौ हुयग्यौ जमीन माथै

कित्ताक दिन रैवैला

तण्यौ म्हारौ डील-रूंख?

नितूकी बाजै

अठै अभाव-आंधी

होळै-होळै कुतरै

जड़ां नै जीव

अबै

गुमान बिरथा

म्हारी जड़ा

जमीन में कित्ती ऊंडी है!

स्रोत
  • पोथी : अंवेर ,
  • सिरजक : सांवर दइया ,
  • संपादक : पारस अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी
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