आगै बढणो कदे रुकणो भर मन में द्रढ भाव रे

प्रीत रो संदेस पठावण, उडता पंछी आव रे

आज जमानो अैडो आयो

भोळप सूं मानव भरमायो

खुद रै हाथा बेला बोई

पाक्यो फळ जद मन पछतायो

मरगी नैणा री सरम, मरम रा घट में पडिया घाव रे

प्रीत रो संदेस पठावण, उडता पंछी आव रे

खिलका माय अदावत खाटी

भाई-भाई री जड काटी

अेक दूसरै री अटकळ में

पातरग्या बडका री पाटी

मूडै मीठा घट में खोटा, दुनिया खेलै दाव रे

प्रीत रो सदेस पठावण, उडता पछी आव रे

तात सनेह वीण री तूटी

बळगी हिय धीज री बूटी

हुई रोळ मे टौल, मनावण

दीजै आण हेत री घूटी

काळजियै किलमाणी कूपळ, चमन बध कि मचाव रे

प्रीत रो संदेस पठावण, उडता पछी आव रे

जीवण पुसप जदे खिल जासी

प्रेम मधू कळिया पुळकासी

मन भवरा हुळसाता रळमिळ

अबर धर वन मोवण आसी

खेवटियै बिन झोला खाव, नेहडलै री नाव रे

प्रीत रो सदेस पठावण, उडता पछी आव रे

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : शक्तिदान कविया ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
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