सूरज नै हेलौ करौ
अबै थारी उगाळी,
म्हांरी बगत री सुइयां
अबै म्हां घुमावांला
नीं अंगेजांला म्हां
थारी किरणां रै
चांदणा रौ न्याव
अबै दूजा-इज व्हैला
चांदणा न्याव रा
नै
देख जिण दिन
थारी भट्टी सूं
म्हारी आंच निकळगी
उण दिन थूं
बांनी री उकरड़ी बण’र’
रैय जावैला
म्हारी दिसावां
अबै थारी उगाळी री
बाट नीं जोवैला
नीं ई-म्हारी खटपट
थारै चौफेर फिरैला
ईयूं-ई थनै बूढ़ापौ आवण आळौ है
नै
थारौ बासदी
खूटण वाळौ है
थंनै गुमेज है इणरौ
कै
थारौ चांदणौ
दूजां नै मारग बतावै
म्हांरा मारग
अबै ओसियाळा नीं रैवैला
थारा चांदणा रा
लोगां तोल कर लीनौ है
कै
थारौ चांदणौ
अंधारा सूं-ई हळकौ है
परवा किणनै है
काळी रात पड़ण री
उण रात रै पछै
जद-जद ई, सूरज निकळैता
हरेक मकान री छत, बराबर होवैला।