वो बुद्ध न्हीं हो।

जद वौ दफ्तर जावा सारूँ

बस स्टेण्ड कांनी रवाना हुयो

तो एक लंगडी लूली मंगती नै

लड़की री गाड़ी में देखी

उणरो धणी गाड़ी

खींच र्यो हो

पूरबलै जनम रा बाया

अणी जनम में

सींच र्यो हो

मंगती रै डील माथै

माख्यां भरणावै ही

अर वा याचक बणी

तमाम याचिकावाँ री

मजाक उडावै ही।

यो पैलो साँच हो।

न्हाटतां–भागतां ठठ भरी बस

उणनै कणी तरै सूँ मिलगी

वो पायदान पै लटकग्यो

चौराया पै हरी रोसनी

व्हेता थकाँ भी बस

एक झटको खा'र रुकगी

सांमी कोई साठेक बरस रो

बूढ़ो सड़क पार करण री

कोसिस में बस हेठे आवतो-आवतो

उबरग्यो

उणरै हाथ री स्टोव री पिनां

अर रेजगारी सड़क पै

बिखरगी

उण घड़ी बूढ़ा नै उठावा री बात

लोगां ने बिसरगी

केई हाथ रेजगारी

बीणवा में लागग्या

जींरै जो हाथ आयो

ले'र भागग्या

यो साठ बरस रो बूढ़ो

आपरी रोटी स्टोव री

पिनां बेच'र खुद

कमा र्यो हो

अर तमाम युवा-संगठनां

रै नाँव

सलाम थमा रियो हो।

यो दूजो साँच हो।

थोड़ी देर पछै

बस में जगां हुयगी

वो बैठग्यो

उणरै कान में मीरां रै

भजन रा रसीला

कड़ावा पड्या

मीरां रै भजन नै

एक सूरदास गावै हो

घणै ओछे मोल

अमरत बरसावै हो

उण घड़ी उणरै कनै बैठे

एक मसखरै

सूरदास सूँ फिल्मी गीत री

फरमाइस कीधी

इकतारे माथै सूँ मीरा

उतरगी आसा चढ़गी

फेर भी मन नी भर्यो तो

किसोर अर रफी अर

जाणै कुण-कुण आण बिराज्या

अंत के तंत

अलूमैन रो कटोरो

बस में घूमवा लागो

लोगां आप-आप री सरधा

माफक पांच पाई दस पाई नांखी

अर जद वो कटोरो

फरमाइस करणिये मसखरा

सांम्ही आयो तो

उणी झट सिगरेट री राख

कटोरे में झाड़ दीधी

सूरदास री आँख्याँ तो

राम कोस लीधी ही

पण हियै री आँख्याँ

टमकारतो वो थोड़ो

मुळक्यो अर कटोरे नै

झोळा मांय धर लियौ।

यो तीजौ साँच हो।

ये तीन साँच देख'र

उणनै भी बुद्ध री तरै

बैराग सूझग्यो

पण पाछै न्हीं तो

मे'ल माळिया हा

अर न्हीं सुद्धोधन

जस्या राजपाट

वो आपरी यसोधरा

राहुल नै किणरै

भरोसे छोड़तो?

इतरा में उणरो दफ्तर आयग्यो

अर वो बैराग नै

बस री फाटी सीट में

खसोल'र दफ्तर काँनी भाग्यो

वीं घड़ी देखी

दस मिनट लेट हो वो

उण रो विवेक जाग्यो

अर वो अफसर री

डाँट सूँ बचता खातर

चौथो साँच

घड़वा लागौ।

म्है आपनै पैलाँ ही

अरज करी ही

वो बुद्ध न्हीं हो।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य रा आगीवाण: भगवती लाल व्यास ,
  • सिरजक : भगवती लाल व्यास ,
  • संपादक : कुंदन माली ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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