सूरज सूं

आंख्यां मिलावण री हिम्मत राखै

जणै चाल म्हारै सागै

तप्यां पछै ईज कुंदण बणीजै

आपरी ठौड़ पूगता लोगां सूं

बळण सूं कांई होवैला

भाग रो भरोसो करणिया

जिण ठौड़ हुवै

उण ठौड़ ईज रैवै

साच री लाठी

तलवारां अर तोपां सूं

हार नीं मानै

कांई हुयो

कुण खायग्यो थनै?

स्रोत
  • पोथी : मन रो सरणाटो ,
  • सिरजक : इरशाद अज़ीज़ ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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