बायरा!
तू किणने ढूंढै है
रेत रा बळबळता धोरां में
तिरस एक मरवण रो नांव है
वा बसै है थारै ही हिये
तू उणनै ढूंढतो फिरै
फोगां री छियां में
बायरा!
साव गेलो हुयगो कांई?
सूंसाड़ा भरती
मझ दोपेरी बेळां में
तू उड़ीकै है
उण री पायळ री
झणकार रौ
मुदरो-मुदरो सुर!
टूटा रमतिया में
बचपण कितरा दिन
बंध सकै है
बावळा?
गढ़-किला-कोट-कंगूरा
मेल-माळिया
जठां तांई निजर पूगै
थनै मरवण ही मरवण
क्यूं सूझै है?
बोल बायरा बोल!
इतिहास किणरौ सगो
हुऔ है आज तांई
तूं भळै कितरो ही
जतन करलै
थनै मिलेला
निसांसा नांखती
अपणै आपमें अमूझती
एक उडीक
इण छोर सूं उण छोर
पसरियोडी एक कामना
थारी सगळी सगती अर भगती
धोरां री पड़छायां
रीत जासी
थारै हाथ कांई आसी?
बेरे री गिरारी सूं
रपटी नेज सी बीत जासी जिनगाणी
रीती ओक रा सुपना सूं
कदै सगपण हुऔ है
इमरत री धार रो?
तू कठा तांई
पिणघट-पिणघट
भागतो फिरैला बावळा!
तिरस एक मरवण रो नांव है
अर नांव थारै
हिये रा धोरां में
उकेरीजियो है
हियै में बतूळा मत उठा
बावळा!
जे ओ नांव मिट जासी
तो तू किण रै पांण
ढोलो बण्यो फिरसी
बायरा?