बेकळू रा घर
धमाकै रौ डर
अचाणचक धसक जावै जमीं
पगथळियां हेटै सू
लोग परबस व्है, बैय जावै
बैती रै बाळै में
गुचळकियां खावै, पण किनारै नीं लागै।
आज
खिडीजतां-खिडीजतां
भाखर डूंगर व्हैगा, अर डूंगर ढिगली
लोग बदळग्या
मरजाद बदळगी
वै नीं मानै कोई जंग
माचै रै मोरचै आगै
खुद री गांगरत गावता
नीं देखै पाड़ोस री आग
आंधा व्है जावै, आंख्यां थकां
अैड़ौ लखावै दिसावां रौ मून
के थोथ बापरगी है घरौ-घर
औ मसखरियां करतौ आवै वायरौ
अर, अै
धरत्यां आ जावै थोथा घर
धमाकौ व्है
धूड़ री अैक बादळी छावै
अर पाछी बैठ जावै होळै-होळै॥