थारी माटी

मुगोतर पावै मां

थूं

पाछी मिनख जमारै मत आजे

म्हैं थारौ जायौ

कीकर सोधूं ऐनांण

खूंटी तांण सूती

इण बस्ती मांय

जिण लोप दी थारी कार

मां

थनै देख जांणी बात

कै काया तौ फगत मां री होवै

बाकी स्सैं

सांसां रौ पेटियौ

पूरौ करता

उधारी हांथियां चुकावै

काया रौ भाड़ौ भरणौ

जीवणौ नीं होवै मां

थूं मरण रौ अमर भरोसौ लियां

सूती है

रिंधरोही रौ छेड़ौ नापती...

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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