म्हैं हूं थारो बेली
रेत रो टीबो
देखतो म्हैं
थारी किळोळ
जद तू राजी हुवतो
देखतो बोलबालो
रीसां बळती मरोड़
म्हारी कुण सुणसी पीड़
तू बैठ्यो परदेस
पल पल कटतो जावूं
पसरी ही जद
च्यारूं मेर रेत ही रेत
अब दिन दिन
घटतो जावूं
म्हारै काळजै
लोगां घाल दिया
बेजां बेजका
म्हारो अस्तित्व
है खतरा मांय,
दिन दिन रूप
कोजो हुवतो जावै
मत खोद मिनख
तू टीबा नै।
बेली तू बरज दीजै
सगळा मिनखां नै
आज भी उडीकै
थारै खेत रो टीबो।