जद-जद थारी आंख सूं
झरिया है आंसू
वां तांई
पूग्या ई है हरमेस
म्हारी ओळूं रा हाथ।
थनै उणां रौ परस
हुवै का नीं हुवै
पण म्हैं सदीव उखणियौ है
थारै आंसुवां रौ भार।
थारी उडीक मांय
थारै पछै
कीं बाकी नीं है
थारै अणदीठ आंसुवां नै टाळ।