थांरै हुवणै में

रैयो जको सुख

उण सूं कीं बेसी

थारै नीं हुवणै रै

दंस री आंच-

उण दंस रै जंगळ मांय

सोधूं म्हैं प्रेम री पग-छाप

सुणूं हैं खुड़को

थारै परस रो!

स्रोत
  • पोथी : खोयोड़ै समदर रा सुपना ,
  • सिरजक : विजयसिंह नाहटा
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