नूंई चपलां

पेरतां’ई

सिंझ्या आरती सारू

मिन्दर गियो

सगळा

आरती गावै हा

मैं मिन्नत मांगै हो

हे भगवान!

म्हारी चपलां

लाद जाज्यो

सागी ठोड़।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : राजेन्द्र सिंह चारण ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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