ताकड़ी बणाणियै

जरूर कई बरस

लगाया होसी,

सोच्या-बिच्यारी में,

कै इस्यो कांई बणाऊं?

जको सबनै तोल’र

बरोबर मिलै

अर किणी रै साथै

अन्याव नीं हुवै

बाटां रो पालड़ो न्यारो

अर दाणा-फाकां से न्यारो,

काण नीं रैवै कठै ई।

बापड़ै घणी'ज जुगत लगाई

पण बणतां ताकड़ी

बांदर ले भाज्या

अर आजकाल

टुकड़ां खातर लड़ता

बिलोड़ां रा

बै पंच है!

स्रोत
  • पोथी : कथेसर ,
  • सिरजक : प्रवीण सुथार ,
  • संपादक : रामस्वरूप किसान
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