म्हारै घर माय नीं है

जिणरौ मिंदर

नीं हुवै उणरौ

पूजा पाठ

नीं मांगै कदी बख

नीं मांगे भोग,

नीं लागे म्हानै

डर

कदी मांगणी नीं पड़े

अरदास,

बिना केया ही

जाण लेवै

म्हारै हिवड़ै रौ हाल

हरमेस पैला सूं ही

पूरी करे

सगळी मांग।

टुटेड़ी जूती,

फाट्योडे कुरतै मांय

लिपटी म्हारै बापू री मूरत ही

म्हारौ भगवान है।

स्रोत
  • सिरजक : पवन 'अनाम' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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