(लांबी कविता रौ अेक अंस)

म्हैं कुण हूं?

प्रीत रा पुस्करजी रै पावन पगोथियै

फागणिया हथेळियां ऊग्योड़ा

लीला जंवारा बोळावती गिणगोर?

कै चांद री इमरत डोळियां रै ऊपरवाड़ी

बरसता मेघां ज्यूं ढळती

माटी री तीतर-पांखी सौरभ झिकोर?

म्हैं कुण हूं?

इतिहास री खड़ग-लेखणी सूं

रगत-मसी में सींवां बदळता भूगोल रा

अडोळा चितराम री खांडी कोर?

के रंगसाळ में चितारियोड़ी

ऊभी आंगळियां सांनी करती

कुळ बहुवां रै डाबर नैणां झरती

भाटा री नागी पूतळी रा लेवड़ा री लोर?

म्हैं कुण हूं?

तोड ज्यूं उछेरी म्हनै धोरां जैसळमेर

झैकाई बाळू रेत बड़ री साख बांधी

सिणगारी सोनलियै गिरबांण गोरबंध कबडाळां

नीरी नागरबेल, तौ बाजती नळीयां

बिछड़गी झौक सूं कतारियां रै देखतां-देखतां!

पाळिया वासक म्हैं मनड़ा रै रोहिणी द्रुमां

रतन-कचोळां ईसका पय पायौ

डाढां डसायौ कंवळो काळजो

विस री गहळ बितायौ

रांमतिया-रमतो बाळापण

सूंघती चंपा री चौथी पांखड़ी

पूगी बागां मंडोवर रै

चरती आफूनी रा फूल हिरणी ज्यूं

सोई मेहूड़ां री छांव गुळक्यारां फाळ सांध्या

इमरत कर पीवी म्हैं रविजळ री छळ-छौळां!

बदळौ चुकायौ यूं

अजांण्या मावीतां रै पाप रौ,

धुतकारां, ओझाड़ां, संताप रौ,

अणसमता हांचळ चूंघ्या दूध,

फाटै गाभां री गांठ घुळी निरधनता,

हटक रै होड़ां दियै जोबन रौ,

रोक-टोक रमता रूप रौ,

बचपण रौ, मेहणा री बोली रौ,

नारी निबली रौ, गोली रौ

जोबन रै कामरूप बादळां री रींझ

टहूकी जोधांणै टेकरियां लाल सिहरां

मोर ज्यूं पांखां रा छतर तांण!

पण देख पगां सांम्ही ढळकाया आंसूड़ा

कोट-कोट कांगरै-कांगरै

तनवन राज कियौ जोबन सादूळां

सरवर री पाळ

मदगहळी गजगांमण सूं करी चूक

कुंभ नै विदार गजमोती लिया काढ

मान कियौ धणियाणी,

मांणी तौ राज-सेज मौजां बस म्हैं मांणी

हिंगळू ढोलिया रै बादळ पथरणै

जठै-जठै म्हैं फेरिया पसवाड़ा

उठै-उठै बिगसिया फूल रातराणी, चंपा

गुलाब रा अर सपनां रै समदर तकियै

जठै-जठै ओसरिया मोती नीरद-नैणां

उठै-उठै भरग्या पीछोळा, बाळसमंद, आनासागर!

तरणापै अंतेवर अंकमाळां

भीमळ-नयण मारग नीहाळती

प्रीत री पुरवाई रा संदेस री

कुरळाई रत-पंखी कुरझड़ ज्यूं

'तिरसी हूं, तिरसी हूं'

सेवट उडगी सरवर रै ईरां-तीरां

जोड़ी सूं जुड़ण मनड़ा रै कोटड़ै

गोली बण भावन रची भाटियां री

राणी बण रंग दियौ राठोड़ां

झोरावा गाया कोटड़िया रा

संपूरण नारी ज्यूं

म्हैं कुण हूं?

जिणरै कूं-कूं पगल्यां री खोज

'खोज गई' गाळ खाय

ओठै-ओठै हालती कुळबहुवां

सतियां के राणियां!

म्हैं कुण हूं?

बाघाजी रौ जस-अपजस

हिवाळां ऊंचो, ऊंडो महराणां?

कविता कोटड़िया री

अरथां, संकेतां, सबदां परबारी?

परोकी प्रीत? नेह गाढा मारू रौ?

बिना हाथ हथळेवौ? गांठ बिना गंठजोड़ौ?

बिन सावा परण्योड़ी? जलमी कठै, पाळी कुण

किणरौ म्हैं घर मांड्यौ सती हुई किण साथै

आडी ज्यूं समाज री

म्हैं कुण हूं?

सरीरां असरीरो?

नांव जात कुळ बिहूणी

क्रौंच पाखी आद कवि री?

चंडाळी? खंडाळी

रूप री बणजारण बडारण जोबन री?

आदण ईसका रौ रेख कै हथाळी री

लीक सूं टळियोड़ी उछाळौ दबियोड़ी माटी रौ?

ध्याव सुरसत नै, सिमर गणपत जद

मांडोला छंदां-अछंदां

सबदां में बांधोला प्रीत री कथा कोई

बरणोला नारी नै

थे बतावोला पीढियां नै

कुण हूं म्हैं,

भासा रा भावी कविसरां!

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : सत्यप्रकाश जोशी ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी
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